Gupt navaratr : नवरात्रि की 10 देवियां की पहली देवी है काली, जानिए माता से जुड़ी सभी जानकारियां
सनातनी शास्त्रों के अनुसार दस महाविद्या में से किसी एक की नित्य पूजा अर्चना करने से लंबे समय से चली आ रही बीमार, भूत-प्रेत, अकारण ही मानहानी, बुरी घटनाएं, गृह कलह, शनि का बुरा प्रभाव, बेरोजगारी, तनाव आदि सभी तरह के संकट तत्काल ही समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति परम सुख और शांति पाता है। इन माताओं की साधना कल्प वृक्ष के समान शीघ्र फलदायक और सभी कामनाओं को पूर्ण करने में सहायक मानी गई है।
नौ दुर्गा
1.शैलपुत्री, 2.ब्रह्मचारिणी, 3.चंद्रघंटा, 4.कुष्मांडा, 5.स्कंदमाता, 6.कात्यायनी, 7.कालरात्रि, 8.महागौरी और 9.सिद्धिदात्री।
दस महा विद्या
1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला।
प्रवृति के अनुसार दस महाविद्या के तीन समूह
पहला : – सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला),
दूसरा : – उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी),
तीसरा : – सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)।
माता काली
दस महाविद्या में काली प्रथम रूप है। माता का यह रूप साक्षात और जाग्रत है। काली के रूप में माता का किसी भी प्रकार से अपमान करना अर्थात खुद के जीवन को संकट में डालने के समान है। महा दैत्यों का वध करने के लिए माता ने ये रूप धरा था। सिद्धि प्राप्त करने के लिए माता की वीरभाव में पूजा की जाती है। काली माता तत्काल प्रसन्न होने वाली और तत्काल ही रूठने वाली देवी है। अत: इनकी साधना या इनका भक्त बनने के पूर्व एकनिष्ठ और कर्मों से पवित्र होना जरूरी होता है।
यह कज्जल पर्वत के समान शव पर आरूढ़ मुंडमाला धारण किए हुए एक हाथ में खड्ग दूसरे हाथ में त्रिशूल और तीसरे हाथ में कटे हुए सिर को लेकर भक्तों के समक्ष प्रकट होने वाली काली माता को नमस्कार। यह काली एक प्रबल शत्रुहन्ता महिषासुर मर्दिनी और रक्तबीज का वध करने वाली शिव प्रिया चामुंडा का साक्षात स्वरूप है, जिसने देव-दानव युद्ध में देवताओं को विजय दिलवाई थी। इनका क्रोध तभी शांत हुआ था जब शिव इनके चरणों में लेट गए थे।
नाम : माता कालिका
शस्त्र : त्रिशूल और तलवार
वार : शुक्रवार
दिन : अमावस्या
ग्रंथ : कालिका पुराण
मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा
दुर्गा का एक रूप : माता कालिका 10 महाविद्याओं में से एक
मां काली के 4 रूप हैं : – दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली।
राक्षस वध : रक्तबीज।
प्रमुख स्थान
कोलकाता में कालीघाट पर जो एक शक्तिपीठ भी है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में भैरवगढ़ में गढ़कालिका मंदिर इसे भी शक्तिपीठ में शामिल किया गया है और गुजरात में पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित महाकाली का जाग्रत मंदिर चमत्कारिक रूप से मनोकामना पूर्ण करने वाला है।
काली माता के प्रसिद्ध मंदिरों का उल्लेख किया जा रहा है:
कालीघाट मंदिर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
कालीघाट मंदिर कोलकाता का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यहां काली माता की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान की जाती है.
काली तंत्र मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
यह मंदिर उज्जैन में स्थित है और काली माता को तंत्रिक उपासना का केंद्र माना जाता है.
कालिका देवी मंदिर, चंडीगढ़
यह मंदिर चंडीगढ़ में स्थित है और कालिका देवी की पूजा यहां विशेष रूप से की जाती है.
वैष्णो देवी मंदिर, कटरा, जम्मू और कश्मीर
यह मंदिर जम्मू और कश्मीर के कटरा में स्थित है और वैष्णो देवी की अराधना के लिए बहुत प्रसिद्ध है.
कालिघाट मंदिर, कालीघाट, हिमाचल प्रदेश
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कालीघाट में स्थित है और काली माता की पूजा यहां विशेष रूप से की जाती है.
काली माता का मंत्र
हकीक की माला से नौ माला ‘क्रीं ह्नीं ह्नुं दक्षिणे कालिके स्वाहा:।’
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