मंगलवार के दिन श्रीहनुमान जयन्ती का अनुपम संयोग श्रीहनुमद् आराधना से होंगे सभी मनोरथ पूरे, जानिए मुहूर्त और पूजा विधान
– ज्योतिर्विद् विमल जैन
भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म के अनुसार रामदूत श्रीहनुमान् जी की महिमा अपरम्पार है। इनकी भक्ति व शक्ति से जीवन के समस्त संकटों का शीघ्र ही निवारण हो जाता है। इसलिए इन्हें ‘संकटमोचन’ की उपाधि से अभिभूत किया गया है । ‘रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥’ वानरराज केसरी और माता अंजनीदेवी के पुत्र भगवान् श्री हनुमान जी का जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाने की पौराणिक मान्यता है। प्रथम चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि तथा द्वितीय कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। हनुमान जयन्ती के पर्व पर श्रीहनुमानजी की भक्तिभाव, श्रद्धा व आस्था के साथ पूजा-अर्चना करने का विधान है ।
शुभ मुहूर्त
इस बार चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 22 अप्रैल, सोमवार की अर्द्धरात्रि के पश्चात् 3 बजकर 26 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 23 अप्रैल, मंगलवार की अर्द्धरात्रि के पश्चात् 5 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। स्नान-दान – व्रतादि की पूर्णिमा 23 अप्रैल, मंगलवार को मनाया जाएगा। चित्रा नक्षत्र 22 अप्रैल, सोमवार की रात्रि 8 बजकर 00 मिनट से 23 अप्रैल, मंगलवार की रात्रि 10 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। श्रीहनुमान जयन्ती का पावन पर्व 23 अप्रैल, मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मंगलवार के दिन हनुमान जयन्ती होने से यह पर्व और भी शुभ पुण्य फलदायी हो गया है। इस दिन व्रत उपवास रखकर श्रीहनुमान जी की दर्शन, पूजा- अर्चना करने से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली में अभिवृद्धि होती है।
श्रीहनुमान् जी की पूजा का विधान
प्रातः ब्रह्म मूहूर्त में अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए तथा श्रीहनुमान जी के विग्रह को चमेली के तेल या शुद्ध देशी घी एवं सिन्दूर से श्रृंगारित करके विभिन्न पुष्पों व तुलसी दल की माला से सुशोभित करना चाहिए। नैवेद्य में बेसन व बूंदी का लड्डू, पेड़ा एवं अन्य मिष्ठान्न व भींगा हुआ चना, गुण तथा नारियल एवं ऋतुफल आदि अर्पित कर तत्पश्चात् धूप-दीप के साथ उनकी विधि- विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करके श्रीहनुमानजी की आरती करनी चाहिए। भगवान श्रीहनुमानजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए ‘ॐ श्री हनुमते नमः’ मन्त्र का जप तथा रात्रि जागरण करना चाहिए। उनकी महिमा में विभिन्न स्तुतियां, श्री हनुमान चालीसा, श्री सुंदरकांड, श्री हनुमत् सहस्रनाम, श्रीरामचरित मानस का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीहनुमानजी से सम्बन्धित मंत्रों का जप आदि करना लाभकारी रहता है। आज के दिन व्रत-उपवास रखने पर श्रीहनुमान जी अपने भक्तों को शुभ मंगलकल्याण का आशीर्वाद प्रदान करते हैं जिससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि का सुयोग बना रहता है।
धार्मिक- पौराणिक मान्यता
श्रीहनुमान जी के विराट स्वरूप में इन्द्रदेव, सूर्यदेव, यमदेव, ब्रह्मदेव, विश्वकर्मा जी एवं ब्रह्मा जी की शक्ति समाहित है। शिवमहापुराण के अनुसार पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, अग्नि व यजमान – ये आठ रूप शिवजी के प्रत्यक्ष रूप बतलाए गए हैं। श्रीहनुमान जी ब्रह्म स्वरूप भगवान शिव के ग्यारहवें अंश के रुद्रावतार भी माने गये हैं। श्रीहनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। एकाक्षर कोश के मतानुसार हनुमान शब्द का अर्थ है – ‘ह’ शिव, आनन्द, आकाश एवं जल। ‘नु’ पूजन और प्रशंसा । ‘मा’ श्रीलक्ष्मी और श्रीविष्णु। ‘न’ बल और वीरता । भक्त शिरोमणि श्रीहनुमान जी अखण्ड जितेन्द्रियता, अतुलित बलधामता, ज्ञानियों में
अग्रणी आदि अलौकिक गुणों से सम्पन्न होने के कारण देवकोटि में माने जाते हैं।
इस दिन का विशेष महत्त्व
जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों के चाल के अनुसार ग्रहों का उत्तम फल न मिल पा रहा हो या शनिग्रह कील दशा, महादशा अथवा अन्तर्दशा का प्रभाव हो तथा शनिग्रह की अढैया या साढ़ेसाती का प्रभाव हो, उन्हें आज के दिन व्रत रखकर श्रीहनुमानजी की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। आज के दिन व्रत रखने से भगवान श्री हनुमान जी की विशेष कृपा तो मिलती ही है साथ ही रोगों से छुटकारा एवं संकटों का निवारण भी होता है जैसा कि श्रीहनुमान चालीसा में नासे रोग हरे सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलवीरा ॥ ऐसी मान्यता है कि श्रीहनुमान जी की उपासना करके उनकी विशेष कृपा
की है।
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