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Home Events नाटी इमली भरत मिलाप : अब प्राचीन इमली का पेड़ तो नहीं लेकिन परम्पराओं का निर्वहन आज भी

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  • STARTOct 6th - 5:00pm

  • ENDOct 6th - 11:59pm

  • VENUENati Imli Bharat Milap

नाटी इमली भरत मिलाप : अब प्राचीन इमली का पेड़ तो नहीं लेकिन परम्पराओं का निर्वहन आज भी

बात यदि धर्म ग्रंथो की करे तो दीपावली पर्व प्रभु राम के अयोध्या आने की ख़ुशी में मनाया गया था , लेकिन शिव की नगरी काशी में दशहरा के अगले दिन प्रभु श्री राम के चारो भाइयो का मिलन होता है ….भरत मिलाप के नाम से जाने जाने वाला यह लीला कई मायने में अपनी अलग पहचान रखता है सबसे बड़ी बात यह है कि मात्र 5 मिनट की होने वाली इस लीला को देखने के लिए लोग घंटो इंजतार करते है,भक्तो का मानना यह भी है कि इस लीला के दौरान प्रभु स्वयं उपस्थित रहते है , भक्तो की भारी भीड़ इस बात का घोतक है की आज के इस युग में अभी भी भक्त अपने भगवान को सब कुछ नेछावर करने को तैयार है।

आकर्षण का केंद्र यादव समुदाय का विशेष परिधान बनारस के लख्खा मेला में शुमार नाटी इमली का रामलीला में प्रभु श्री राम  के उपस्थिति का आभास होता है और यही वजह है की  भरथ मिलाप को देखने के लिए लाखो की संख्या में आज भक्तो आते है।  इस लीला में भक्त श्री राम के जयकारा के साथ ही  हर हर महादेव का उदघोष करते है , परंपरा के अनुसार  काशी नगरी के राजा रहे काशी नरेश अपने हाथी पर सवार होकर यहाँ पुरे राजकीय शान शौकत से आया करते थे लेकिन समय के बदलने के साथ ही अब राजा परिवार के प्रतिनिधि परिवार आज भी हाथी पर सवार होकर पहुँचते है और लीला में भाग लेते है। भरथ मिलाप अपने नियत समय सायं 4. 55  पर शुरू होता है …इस लीला में प्रभु राम और लक्ष्मण चौदह का वनवास के बाद भरथ और शत्रुधन से गले मिलते है | मात्र 5 मिनट के इस लीला में भगवान का लाग (विमान ) अपने विशेष परिधान में यादव जाति के लोग लेकर जाते है, जो मेले का एक और आकर्षण होता है।

शुरुआत सोलहवीं शताब्दी मे गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा
मान्यता है कि इस मेले का शुभारंभ सोलहवीं शताब्दी मे गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा हुआ था , जिसे मेधा भगत जी ने आगे बढ़ाया और अब तक जारी है। लक्खा मेला मतलब जिसमें लाखो की भीड़ उपस्थित हो । जो  मेले की भव्यता का बखान करने के लिए शब्दो की सीमा समाप्त होता नजर आता हैं। असल में भाई का भाई के प्रति प्रेम, अपनी गलती न होने पर भी कारण मात्र समझकर आत्म ग्लानि की पराकाष्ठा का अद्भुत चित्रण इस लीला की विशेषता है। शास्त्रीय प्रमाण और रंगमंचीय प्रबन्धन ऐसा कि समय काल परिस्थिति की पूर्णतः व्यवस्था की जाती है।

कई मायने में खास होता है लीला लीला के कथानक की बात करें तो भगवान राम को बनवास के बाद भरत जी ने संकल्प किया कि बनवास काल पूर्ण होने के बाद एक दिन भी प्रतीक्षा नही करेंगे और प्राण  त्याग देंगे। अतः सूर्यास्त से पूर्व कुछ मिनट जब सूर्य की किरणें नाटी इमली लीला मंचन क्षेत्र के एक निश्चित बिंदु पर होती है,,,, भरत मिलाप ठीक उसी समय होता है। इतना भावुक, इतना आत्म प्रेरक की हर मिनट कार्यक्रम को टकटकी लगाकर लोग हृदयंगम करने के लिए लालयित रहते हैं। कुछ नेमी तो हर साल सब कामकाज से समय निकल कर  तिथियों और तारीख के अंतर को पाटकर समय से पूर्व ही तय स्थान पर आसीन हो जाते हैं जिसमें “काशी नरेश “भी शामिल हैं जिन्हें काशीवासी शिव का अवतार मानते हैं।
– shlini tripati

Details

Date:
October 6, 2022
Time:
5:00 pm - 11:59 pm
Categories:
Website:
https://www.mokshbhumi.com

Venue

Nati Imli Bharat Milap
Nati Imli Bharat Milap, Varanasi, Uttar Pradesh, 221010, India.
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